मुंबई। भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध के दौरान दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले भारत के पहले विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के सेवामुक्त होने के बाद उसे तोड़ा जा रहा है। इस पोत को खरीदने वाले मालिक ने शुक्रवार को कहा कि इस प्रक्रिया में सात-आठ महीनों का समय लगने की संभावना है। गुरूवार को इसके आगे के हिस्से पर पहला हथौड़ा चला।
इस पोत को ई-नीलामी में मुंबई की आईबी कॉमर्शियल्स लिमिटेड ने खरीदा है। कंपनी के निदेशक और अब पोत के मालिक अब्दुल करीमा जाका ने यह जानकारी दी। जाका ने दक्षिण-पूर्व मुंबई के पाउडर बंडर स्थित ब्रेकिंग यार्ड में आईएएनएस से कहा, ""सभी कानूनी और तकनीकी औपचारिकताएं पूरी करने तथा संबंधित एजेंसियों से मंजूरी मिलने के बाद पोत को तोड़ने के लिए लगभग 200 लोगों के एक दल को लगाया गया है।""
इसे पहले एचएमएस हरक्यूलस के नाम से जाना जाता था। इसे भारत में 1957 को लाया गया था और 16 फरवरी, 1959 को नौसेना में शामिल किया गया। 31 जनवरी, 1997 को इसे सेवामुक्त कर दिया गया था। 71 वर्ष पुराने इस पोत को स्टील और अन्य महत्वपूर्ण सामग्रियों के लिए अंतत: तोड़ा जा रहा है। -
भारत-पाक युद्ध के हीरो रहे आईएनएस विक्रांत पर चला पहला हथौड़ा - Dismantling of iconic warship INS Vikrant begins -Patrika.com
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